Thursday, February 14, 2008

मौन शक्ति

प्यार का नगमा,
गाता जा सुनाता जा,
उनके दिल को,
हर्षाता जा।

खुशी भी इसमें,
चैन भी इसमें,
प्यार की बीन,
बजाता जा।

कर्म भी यही,
धर्म भी यही,
सब कुछ यही,
समझाता जा।

प्यार ही प्यार,
ज़िंदगी का सार,
स्वयं पहचान ले,
औरों को बतलाता जा।

जीवन उद्धार,
कर पालनहार,
प्यार शक्ति,
दर्षाता जा।

Wednesday, February 13, 2008

पानी

पानी पानी में क्या हे फर्क,
कहीं मीठा कहीं खारा होता,
मनुष्य भी हैं अलग-अलग,
एक सीधा, दूसरा टेढा होता।

आकाश भी एक जैसा कहाँ,
घने मेघा इधर, नीला वहाँ,
रंग बिरंगी दुनिया में,
नहीं कुछ एक जैसा यहाँ।

है हवाओं में भी अंतर,
कहीं लू, कहीं शीत लहर,
कभी खुशी, कभी गम का मन्ज़र,
भिन्न है हर एक का सफर।

हम एक हैं समझा नहीं,
है दुर्दशा का कारण यही,
कब जान पायेगा मालूम नहीं,
राहत मिलेगी या नहीं।

मानसिक संतुलन खोने से होता यही,
सब कुछ होते हुए भी, कुछ होता नहीं,
पानी, पानी में अंतर यही,
कहीं रुक गया, कहीं रुकता नहीं।