आंखों ही आंखों में ,
बातों ही बातों में ,
प्यार की बरसात हुई ,
कल उनसे मुलाक़ात हुई।
प्यार की पींगे बड़ी ,
प्यार की लग गई झडी,
प्यार का नशा छाने लगा ,
जीने का मजा आने लगा ।
अब यह आलम है ,
सब उनके दम से है ,
अगर करदे अस्वीकार ,
जीना होगा दुष्वार ।
साहस बटोर पूछ लिया ,
क्या रूकमणि बनोगी ,
दो टूक जवाब था "नहीं ",
में राधा ही रहूंगी ।
यह दास्ताँ ,
बार -बार दोहराई जायेगी ,
युगो से चलती आई है ,
सर्वदा चलती जायेगी ।
प्यार का बंधन,
है तो बंधन ,
न इसमे रहूंगी ,
न कष्ट सहूँगी ।
Monday, April 6, 2009
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