Tuesday, September 18, 2007

अपने ख्यालों और जज्बातों को,
छिपाए रखो ,
प्रलय से बचना है,
बंद मुठ्ठी को बंद रखो ।
_____________________

जो भूखे होतें हैं ,
वे काम पर डटें होतें हैं ,
बातें करें पेट भरने की ,
पेट उनके भरे होतें हैं ।

___________________

Monday, September 17, 2007

आपके विचारों और सुझावों का स्वागत है ।
कृपा इस पते पर लिखें ।

kakarsubhash@hotmail.com

Sunday, September 16, 2007

प्यार मैं एक से हों ख़यालात,
ऐसा ज़रूरी नहीं है सनम ,
मैं अपनी राह पकड़ता हूँ ,
आप अपनी राह चलो सनम।
---------------------------------
जीने का मकसद क्या ,क्या नहीं
आज तक समझ पाया नहीं
पृथ्वी तीव्र गति से घूमती है ,
कहॉ जाना है इसे मालूम नहीं ।

------------- " अपनी राह "

सोंचा था आँसू पोंछ कर ,
लाऊंगा उनके होंठों पर हसीं ,
दर्द यह कैसा सांझा किया ,
ना मैं हंसा न वह हंसीं।
लाख चाहो इसे मगर ,
चाहने से नहीं मिलती ,
किसी को भी सफलता ,
विरासत में नहीं मिलती ।