Thursday, June 5, 2008

खुशनसीब

बहुत बार ऐसा लगा,
जीवन की गाड़ी,
पटरी से,
उतर जायेगी।

खुदा का शुक्र है,
कर्मों का फल है,
शायद नसीब अच्छा है,
ऐसा नहीं हुआ।

मुसीबतें आईं ,
बार-बार आई,
ऐसा लगा,
मिट जाऊँगा।

जैसे-तैसे,
स्वयं को संभाला,
मेहनत की,
भँवर से निकाला।

दुःख आयेंगे,
घुटने न टेको,
धैर्य एवं संयम से,
कट जायेंगे।

यह आसान नहीं,
अत्यंत कठिन है,
नेक नियत से,
सम्भव है।

2 comments:

vedvyathit said...

patdi se nahi patri se utaro
aur aapki nake niyat ka jawab nahi

subhash said...

Dear Ved----Hit ji
Pleasantly surprised to hear from u through internet.Keep it up.
subhash