Sunday, July 3, 2011

शंखनाद

दबी-दबी सी आवाज़,
सुनो तो सही
लोग क्या कहते हैं,
सुनो तो सही।

अहंकार के अंधेरे में,
खो गए हो कहीं,
जहान कितना भी चिल्लाये,
आप सुनोगे नहीं।

अच्छा मानव कैसे बनेगा,
गर सुनता नहीं,
मात्र बोलने से,
ज्ञान बड़ता नहीं।

फल कैसे प्राप्त होगा,
तनिक सोचो तो सही,
फलों से लदी डालियाँ,
गर झुकेंगी नहीं।

आत्मा की आवाज़,
कभी सुनो तो सही,
दबी-दबी सी है,
सुनो तो सही।

Saturday, March 26, 2011

जय जापान

नहीं रुकता हे आँखों से पानी, यह तूने क्या किया सुनामी, जापान को कैसा झटका दिया, समस्त विश्व को रुला दिया।

Friday, February 4, 2011

गुरु जी

भारतवर्ष में,
है गुरुओं की भरमार,
ऐसा क्यों
समझाओ यार।

गरीबी हटाने के लिए,
चाहिए पैसों का भण्डार,
गुरुओं का इस से,
नहीं कोई सरोकार।

पुल बनाने के लिए,
अनाज की उपज बढ़ाने के लिए,
चाँद पर जाने के लिए,
अस्पताल चलाने के लिए।

जनता इनके पास,
क्यों जाती है,
अपना धन,
श्रद्धा से चढ़ाती है।

लोग बेवकूफ या पागल हैं,
मैं नहीं जानता,
पढ़े-लिखे शायद ऐसा माने,
मैं नहीं मानता।

भक्त प्यार से जाता,
आस्था से शीश नवाता,
मन की शांति पाता,
गुरु जी के गुण गाता।

छिपा इन बातों में,
है एक मूल कारण,
दुखी एवं अशांत मानव,
चाहे इनका निवारण।

इस प्रबल चाह के आगे,
उसका विवेक नतमस्तक है,
और यह भी सत्य है,
वह जहां खड़ा था, वहीँ है।