प्यार मैं एक से हों ख़यालात,
ऐसा ज़रूरी नहीं है सनम ,
मैं अपनी राह पकड़ता हूँ ,
आप अपनी राह चलो सनम।
---------------------------------
जीने का मकसद क्या ,क्या नहीं
आज तक समझ पाया नहीं
पृथ्वी तीव्र गति से घूमती है ,
कहॉ जाना है इसे मालूम नहीं ।
------------- " अपनी राह "
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
5 comments:
Very Good keep it up
Uncle you rock even in poetry from Doc to a poet ur rocking.
Ritesh
dear annonymous
thanx.
subhash
______________
dear ritesh
thank u for ur robust comments.
subhash
dear visitor
you may leave your comments here.
subhash
Dear Chachaji,
I really agree with and also like this poem ....
प्यार मैं एक से हों ख़यालात,
ऐसा ज़रूरी नहीं है सनम ,
मैं अपनी राह पकड़ता हूँ ,
आप अपनी राह चलो सनम।
wanted to share something I wrote along the same lines...
" Apnon ke apnepan mein
Ham man laga na sake
Kahan milenge is mele mein
Anjaan ko jaanne waale"
With regards,
Monica
Post a Comment