Friday, October 26, 2007

संयम

अपने ख्यालों और जज्बातों को ,
छिपाये रखो ,

प्रलय से बचना है,
बंद मुठ्ठी को बंद रखो।

माना कि चुप रहना,
आसान नहीं,
आत्मा का घला घोटना ,
कोई आम बात नहीं।

यह सच है कि आपका बोलना,
बहुत जरूरी है,
पर चुप्पी साधे रखना ,
सबसे बडी मजबूरी है।

चलने दो दुनिया को,
जैसे चलती है,
अपना राग न अलापो ,
ऐसे ही गाड़ी बढ़ती है।

न बोलने में शांति,
बोलो तो अशांति ,
मौन रहो तो मिले स्वर्ग ,
कहो कुछ तो नरक ही नरक।

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Saturday, October 13, 2007

मूर्खता

तूने अपने को खुदा जाना,
मैंने स्वयं को खुदा माना,
सदियों से एक-दूसरे को जलाते रहे,
खुदा कौन! न में जाना, न तू जाना।

कभी खुदा के लिये,
कभी खुदाई के लिये,
मरने-मारने को मजबूर,
इतना अभिमान, इतना गुरूर।

बंदे खुदा को तेरी ज़रूरत नही,
बगेर तेरी मदद के बखूब जी लेगा,
क्यों लहू-लुहान करता हे,
उसे बदनाम करता हे।

विनती हे दुनिया के पागलों से,
भगवान् के नाम पे न लड़ो-मरो,
खुद के लिये जो चाहे करो,
खुदा का नाम न बदनाम करो।

तेरी काली-करतूतों का दण्ड,
तुझे अवश्य मिलेगा,
उसके घर देर हे अंधेर नही,
वह खुदा हे, बेसहारा नही।

मधुशाला

अब ना कोई उलाहना दे,
अपनी ड्यूटी आया दे,
पैग पर पैग चढाने दे,
जीवन का लुत्फ़ उठाने दे।