Friday, October 26, 2007

संयम

अपने ख्यालों और जज्बातों को ,
छिपाये रखो ,

प्रलय से बचना है,
बंद मुठ्ठी को बंद रखो।

माना कि चुप रहना,
आसान नहीं,
आत्मा का घला घोटना ,
कोई आम बात नहीं।

यह सच है कि आपका बोलना,
बहुत जरूरी है,
पर चुप्पी साधे रखना ,
सबसे बडी मजबूरी है।

चलने दो दुनिया को,
जैसे चलती है,
अपना राग न अलापो ,
ऐसे ही गाड़ी बढ़ती है।

न बोलने में शांति,
बोलो तो अशांति ,
मौन रहो तो मिले स्वर्ग ,
कहो कुछ तो नरक ही नरक।

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