Saturday, October 13, 2007

मूर्खता

तूने अपने को खुदा जाना,
मैंने स्वयं को खुदा माना,
सदियों से एक-दूसरे को जलाते रहे,
खुदा कौन! न में जाना, न तू जाना।

कभी खुदा के लिये,
कभी खुदाई के लिये,
मरने-मारने को मजबूर,
इतना अभिमान, इतना गुरूर।

बंदे खुदा को तेरी ज़रूरत नही,
बगेर तेरी मदद के बखूब जी लेगा,
क्यों लहू-लुहान करता हे,
उसे बदनाम करता हे।

विनती हे दुनिया के पागलों से,
भगवान् के नाम पे न लड़ो-मरो,
खुद के लिये जो चाहे करो,
खुदा का नाम न बदनाम करो।

तेरी काली-करतूतों का दण्ड,
तुझे अवश्य मिलेगा,
उसके घर देर हे अंधेर नही,
वह खुदा हे, बेसहारा नही।

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