कल फिर बम फटे,
बीच बाज़ार फटे ,
डंके की चोट पर ,
ललकार कर फटे ।
है नहीं अचरज ,
दोनों दुनिया की गन्दी उपज ,
एक बम बनाता है ,
दूसरा भाषण देता है ।
कुछ को पकड़ नहीं पाते,
इसलिए आजाद रह जाते ,
जिनको पकड़ सकते हैं ,
वे भी आजाद रहते हैं ।
कसूर हमारा है ,
दोनों के जन्म- दाता हैं ,
आंतक - वादी भी हमारा है ,
पुलिस भी हमारी है ।
हमारी मिली भगत से ,
भोली जाने जाती हैं ,
कुछ दिन रो - धो कर ,
कार्यवाही पुन: शुरू हो जाती है ।
आंतक वादी बम बनाने में ,
दिलो - जान से झुट जाता है ,
कर्ता - धर्ता शोर मचा कर ,
गहरी नींद सो जाता है ।
Saturday, September 13, 2008
Saturday, September 6, 2008
आम आदमी
भाग्यवान हूँ ,
आम आदमी हूँ ,
जहाँ जी चाहे ,
आता - जाता हूँ ।
नेता - अभिनेता होता ,
कैदी सामान होता ,
दो चमचे आगे ,दो पीछे ,
मेरा पहनावा होता ।
दोस्त - दुश्मन की ,
न होती पहचान ,
ऐसे हालात,
करते परेशान।
धनवान होता ,
भाई -बहिनों से लड़ता ,
धन प्राप्ति लक्ष्य होता ,
धन ही खुदा होता ।
बहुत खुश हूँ ,
राम नहीं ,
शबरी के झूठे बेर खाना ,
प्रत्येक के बस की बात नहीं ।
आम आदमी के पास ,
न अपना न पराया आता ,
वह कितना भाग्यशाली है ,
काश वह आंक पाता .
आम आदमी हूँ ,
जहाँ जी चाहे ,
आता - जाता हूँ ।
नेता - अभिनेता होता ,
कैदी सामान होता ,
दो चमचे आगे ,दो पीछे ,
मेरा पहनावा होता ।
दोस्त - दुश्मन की ,
न होती पहचान ,
ऐसे हालात,
करते परेशान।
धनवान होता ,
भाई -बहिनों से लड़ता ,
धन प्राप्ति लक्ष्य होता ,
धन ही खुदा होता ।
बहुत खुश हूँ ,
राम नहीं ,
शबरी के झूठे बेर खाना ,
प्रत्येक के बस की बात नहीं ।
आम आदमी के पास ,
न अपना न पराया आता ,
वह कितना भाग्यशाली है ,
काश वह आंक पाता .
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