Thursday, December 11, 2008

सीखना

न रो-रो के होता है,
जीवन में कुछ भी,
न मर-मर के होता है,
जीवन में कुछ भी।

अगर कुछ भी करना है,
दोस्तों ज़िन्दगी में,
मरने से न डरना है,
दोस्तों ज़िन्दगी में।

फिर ज़िन्दगी तुम्हारी है,
सुख-चैन भी तुम्हारा है,
सुंदर धरती तुम्हारी है,
आकाश भी तुम्हारा है।

ज़िन्दगी का राज़,
और कुछ भी नहीं,
डर पर विजय पाना है,
और कुछ भी नहीं।

डर से न डर,
हो जा निडर,
फिर ज़िन्दगी होगी,
एक खूबसूरत सफर।

12 comments:

रश्मि प्रभा... said...

aatmvishwaas bhari rachna , bahut hi achhi lagi...........

bijnior district said...

हिंदी लिखाडियों की दुनिया में आपका स्वागत।खूब लिखे। बढ़ियां लिखे। शुभकामनाएं।

shama said...

Bohot saadgeese bhari sundar rachna...! Anek shubhkamnayen !

Unknown said...

ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है, मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं…

दिगम्बर नासवा said...

सुंदर रचना, डर इंसान को कम्जूर कर देता है
लिखते रहिये

Prakash Badal said...

स्वागत है आपका।

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर लेख...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

चाचा आपने जैसे हम सब युवाओं को इस कविता के रूप में आत्मविश्वास का इक मंत्र दे दिया हो...धन्यवाद....आपको बहुत....!!

!!अक्षय-मन!! said...

AATMVISHWAAS KO BADATI EK SUNDAR RACHNA....

subhash said...

aap sabka bahut-bahut dhanyavaad
subhash

my blog is:

www.poemshindi.blogspot.com

प्रवीण त्रिवेदी said...

हिन्दी ब्लॉग जगत में प्रवेश करने पर आप बधाई के पात्र हैं / आशा है की आप किसी न किसी रूप में मातृभाषा हिन्दी की श्री-वृद्धि में अपना योगदान करते रहेंगे!!!
इच्छा है कि आपका यह ब्लॉग सफलता की नई-नई ऊँचाइयों को छुए!!!!
स्वागतम्!
लिखिए, खूब लिखिए!!!!!


प्राइमरी का मास्टर का पीछा करें

Manoj Kumar Soni said...

सच कहा है
बहुत ... बहुत .. बहुत अच्छा लिखा है
हिन्दी चिठ्ठा विश्व में स्वागत है
टेम्पलेट अच्छा चुना है

कृपया मेरा भी ब्लाग देखे और टिप्पणी दे
http://www.ucohindi.co.nr