Friday, October 10, 2008

शेयर -बाज़ार

जिंदगी शेयर -बाज़ार,
बन कर रह गई ,
सोते -जागते ,उठते -बैठते ,
सनक बन कर रह गई।

एक टूक नज़रों से निहारता ,
टी .वी बन गयी प्रियतमा ,
अगर शेयर का भाव गिरता ,
बढ़ जा ! पुकारती अंतरात्मा ।

जुआ खेलने की प्रवति को ,
शेयर - बाज़ार ने दिया सम्मान ,
व्यवसाय का स्तर देकर ,
सध्बुधि का किया अपमान ।

विदेशों में "कसीनो "हैं ,
जो आलिशान जुआघर हैं ,
शेयर -बाज़ार भी वहां ,
सर -आंखों पर हैं ।

जुआघर भी खोल डालो ,
किसी से पीछे क्यों रहें ,
विदेशी पहनावा ओढ़कर ,
कदम मिला चलतें रहें ।

जुआघर और शेयर -बाज़ार ,
संस्कार हनन कर रहे ,
अच्छा क्या बुरा क्या,
पहचान इनकी खो रहे .

2 comments:

Anonymous said...

Hi Mr. Subhash Kakkar, anurag here wanna ur mail id mine is sunnyk_242002@yahoo.com

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subhash said...

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kakarsubhash@hotmail.com