Sunday, August 8, 2010

भाग्य

मेरी बीवी,
खाना बनाती है,
कपडे धोती है,
भाग्य की बात है।

मेरी बेटी,
चाय भी नहीं बनाती,
खाली प्याला भी नहीं उठाती,
भाग्य की बात है।

लगता है,
भाग्य करवट ले रहा है,
लड़की-लड़के के अंतर को,
मिटा रहा है।

सदियों के गलत को,
जो भाग्य हो गया था,
अब भाग्य-विधाता उसे,
बदल रहा है।

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