झरनों से सीख,
गिर कर,
मधुर स्वर में गाया जाये।
पर्वतों से,
बदलते मोसमें में,
शांत रहा जाये।
चट्टानों से,
निरन्तर प्रहारों में,
अडिग रहा जाये।
लहरों से,
अथक प्रयास,
सर्वदा चला जाये।
पेड़- पोधों से,
जीने का मकसद,
निस्-स्वार्थ जिया जाये।
सृष्टि- रचियता से,
अंहकार त्याग,
गुमनाम रहा जाये।
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