गीत के लिए ,
शब्द दूंदता हूँ ,
सुर दूंदता हूँ ,
साज दूंदता हूँ।
सुर, गीत, संगीत का ,
ऐसा हो मधुर मिलन ,
सुन कर दुनिया झूमे ,
पुलकित हो हर मन ।
जीवन भी,
इसी प्रकार हो ,
स्वस्थ्य शरीर ,
सुंदर विचार हों ।
प्यार से,
जीना सीखें ,
खुशी हो या गम ,
ढंग से रहना सीखें ।
अपनी संस्कृति और सभ्यता की ,
दीवारों में रहना सीखें ,
बच्चों की भांति ,
निस्स्वार्थ मिलना सीखें ।
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