Sunday, August 31, 2008

कविता

शब्दों में अनबन,
हो सकती है,
पंक्ति बढ़ी या छोटी,
हो सकती है।

पैगाम का पर्वाह,
न कम होना चाहिए,
भले चट्टान हो रास्ते में,
नदी सा बहाव होना चाहिए।

कविता वह नही
जो रुक रुक कर चले,
वह ऐसी धरा है,
जो सर्वदा बहती चले।

वह निर्मल हे,
वह शांत हे,
दबे पाँव चलती है,
दिलों को हरती है।

कविता वह जो आँखें खोले,
कविता वह जो सत्य बोले,
कविता है वह अनकही बात,
जो ज्ञान के भंडार खोले।

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