Tuesday, February 24, 2009

विवाह

टूट कर बंधन,

एक हो नहीं सकता,

मजबूरी में किया समझोता,

प्यार हो नहीं सकता

जिसे एक बार छोड़ चुके,

उसे अपनाने से क्या फायदा,

गलती को दोहराने से

क्या फायदा।

है एक सामाजिक ज़रूरत,

यह सोच कर शादी करता,

प्यार हो या न हो,

कुछ फरक नही पङता

शादी की वज़ह को,

जब तक न जान पाओगे,

यूँ ही शादी करने से,

खुशियाँ न पाओगे

बदलती ऋतुओं की भांति ,

प्यार स्थायी है नहीं ,

शादी एक उबड़-खाबड़ रास्ता,

सीधी-साधी सड़क है नहीं ।

Saturday, February 14, 2009

बोल

बच्चा बहुत छोटा है ,
बोल नहीं पाता,
क्या दुःख - दर्द है ,
बता नहीं पाता।

अब जवान है ,
समझा नहीं पाता ,
उथल - पुथल मन की ,
ब्यान नहीं कर पाता ।

शादी हुई ,बच्चे हुऐ,
यूँ ही जीवन चलता ,
परिवार की खींचा - तानी में ,
मानव आगे बढ़ता ।

अब बूढा हो गया ,
सार ज़िन्दगी का कह सकता ,
सुनने वाला कोई नहीं ,
बुढापा चुप्पी में गुजरता ।

Saturday, February 7, 2009

अपमान

लेकर राम का नाम ,
मचायें कोहराम ,
कभी यह कभी वह जलाएं ,
लज्जा तनिक न आये।

माथे पर तिलक लगा ,
करें झूठा अभिमान ,
तोड़कर यह तोड़कर वह ,
इश्वर को करें बदनाम ।

बदलना है तो बदलो,
अपने सकीरण विचार ,
त्यागो ह्र्द्ध्य घृणा भरा ,
करो हर धर्म सवीकार।

मानव ही मानव का ,
जब हो न सका ,
वह सृष्टि का क्या होगा ,
इश्वर का क्या होगा ।

कभी इस लालच में ,
कभी उस लालच में ,
करता रहेगा नादान,
भगवान का अपमान .