लेकर राम का नाम ,
मचायें कोहराम ,
कभी यह कभी वह जलाएं ,
लज्जा तनिक न आये।
माथे पर तिलक लगा ,
करें झूठा अभिमान ,
तोड़कर यह तोड़कर वह ,
इश्वर को करें बदनाम ।
बदलना है तो बदलो,
अपने सकीरण विचार ,
त्यागो ह्र्द्ध्य घृणा भरा ,
करो हर धर्म सवीकार।
मानव ही मानव का ,
जब हो न सका ,
वह सृष्टि का क्या होगा ,
इश्वर का क्या होगा ।
कभी इस लालच में ,
कभी उस लालच में ,
करता रहेगा नादान,
भगवान का अपमान .
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